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तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

लिङ्गाष्टकम्

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

कीन्ह दया तहँ Shiv chaisa करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ shiv chalisa lyricsl जानौं॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

देवन shiv chalisa lyricsl जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

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